RADIOACTIVITY के बारे में बताएं? इसका अविष्कार किसने किया था, इसका गणितीय विवचेना करें तथा रेडियोसक्रिय तत्वों के विघटन के बारें में चर्चा करें?
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DATE - 25 JUN 2020
RADIOACTIVITY-THE SPONTANEOUS PROCESS
प्रिय मित्रों, विषय को शुरू करने से पहले मै उस महान व्यक्ति का परिचय करवाना चाहता हूं जिन्होंने इस महान खोज को अंजाम दिया, पर ये कहते हुए अफ़सोस भी हो रहा है कि उनका ये महान खोज वरदान के साथ - साथ अभिशाप भी बन गया है। आइए इस महान हस्ती के बारे में कुछ जाने:-
Antoine Henri Becquerel.
एंटोनी हेनरी बेकरेल एक फ्रांसीसी इंजीनियर, भौतिक वैज्ञानिक, नोबेल पुरस्कार विजेता और रेडियो एक्टिविटी को खोजने वाले पहले व्यक्ति थे यह उनका बेहतरीन खोज था, लेकिन अफसोस कि बात यह है कि हरेक महत्वपूर्ण खोज की तरह इसका भी दुरुपयोग हुआ और हो रहा है। इस क्षेत्र में काम के लिए, उन्होंने मैरी स्कोलोडोव्स्का-क्यूरी और पियरे क्यूरी के साथ मिलकर भौतिकी में 1903 ई में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया। इनका जन्म 15 दिसम्बर 1852 में फ्रांस के पेरिस में हुआ था। बेहतरीन बात तो यह है कि उनकी चार पीढ़ी वैज्ञानिक थी, उनका बेटा जीन बेकरेल, उनके पिता एडमंड बेकरेल, और उनके दादा जी एंटोनी बेकरेल। इनकी मृत्यु 25 अगस्त 1918 को हुई थी।
रेडियोसक्रियता -
सन् 1896 ई. मै हेनरी बेकरल नामक वैज्ञानिक ने कुछ नए ऐसे तत्वों के बारे में बताया जिनका परमाणु क्रमांक 82 से अधिक होता है, तथा उनका नाभिक स्वत: विघटित होकर क्रमशः अल्फा, बिटा और गामा विकिरण का उत्सर्जन करती है, यह उत्सर्जन तब तक चलता रहता है जब तक कि उनका परमाणु संख्या 82 अर्थात वह सीसा में तब्दील नहीं हो जाते है।इस प्रकार के गुण रखने वाले तत्व रेडियोसक्रिय तत्व कहलाते है तथा यह परिघटना रेडियोसक्रियता कहलाती है। इस पर दबाव और तापक्रम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
हमारे सामने प्रश्न यह उठता है कि आखिर क्या वजह है कि रेडियो एक्टिव तत्व के नाभिक स्थायी नहीं होते है, इसका जवाब हमे जानने के लिए थोड़ी अन्य जानकारियां लेनी पड़ेगी क्योंकि विज्ञान की हर कड़ी एक दूसरे से जुड़ी होती है।
रेडियो एक्टिव एलीमेंट्स के नाभिक का अस्थाई होने के कारण -
परमाणु की stability Nulceous पर निर्भर करती है अर्थात नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन और न्यूट्रॉन पर निर्भर करती है। अब हम प्लंबम (सीसा) 82Pb207 तत्व पर विचार करेंगे, क्योंकि प्रकृति में सबसे अधिक है stable element यहीं है
207
Pb
82
Numbers of electrons = 82
Number of protons. = 82
Number of Neutrons. = 125
Then,
the value of n/p :-
125/82=1.52
रेडियोसक्रिय तत्वों के विघटन का सिद्धांत-
किसी भी तत्व की stability n/p के (Ratio) मान पर निर्भर करता है, यदि n/p का अनुपात जब 1 से अधिक होगा तो नाभिक स्थाई होगा तथा n/p का मान 1 से कम होगा तो वह नाभिक अस्थाई होगा। स्थाई तत्व की n/p का मान 1-1.54 के बीच देखा गया है। इस स्थिति में जब इनके नाभिक अस्थाई होते है, तो वह स्थायित्व को प्राप्त करना चाहते है, जिसके वजह से इनका क्षय होता है।
अब यहां सवाल यह उठता है कि अल्फा, बीटा और गामा विकिरणों के उत्सर्जन से किसी रेडियोएक्टिव तत्व का नाभिक किसी अन्य तत्व के नाभिक में कैसे बदल जाता है। यह जानने के लिए आपको विखंडन के नियम को जानना होगा।
विखंडन का नियम -
सन् 1913 में soddy नामक वैज्ञानिक ने कुछ बातों की पुष्टि की तथा उसको साबित भी किया, उन्होंने बतलाया की ----
1. रेडियोसक्रिय विखंडन में किरणो के उत्सर्जन के समय एक समय में अल्फा या बीटा किरणों में से केवल एक ही का उत्सर्जन होता है, उन दोनों का कभी भी एक साथ उत्सर्जन नहीं होता।
2. यदि किसी तत्व से अल्फा किरण का उत्सर्जन होता है तो उसके परमाणु संख्या से दो यूनिट तथा परमाणु भार से चार यूनिट की कमी हो जाती है ।
A A-4
X --------------> X
Z Z-2
अब आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर ऐसा क्यूं होता है इस प्रकार से होने वाली कमी का वजह क्या है, तो चिंता की कोई बात नहीं मै आपको बताऊंगा, चलिए समझिए
अल्फा किरण के उत्सर्जन से परमाणु संख्या एवं परमाणु भार में कमी कि वजह -
होता क्या है कि अल्फा कण मुख्यत: हीलियम के नाभिक ही होते है और हीलियम के परमाणु संख्या 2 तथा परमाणु भार 4 होता है जब यह निकलता है तो रेडियो एक्टिव एलीमेंट्स के परमाणु संख्या में 2 तथा परमाणु भार के 4 कि कमी हो जाती है।
3. यदि किसी तत्व से बीटा किरण निकलता है, तो उसके परमाणु संख्या में 1 यूनिट की बढ़ोतरी हो जाती है।
A A
X -------> X
Z Z+1
बीटा किरण पॉजिटिव तथा नेगेटिव दोनों प्रकार का होता है। जब एक नेगेटिव बीटा किरण का उत्सर्जन होता हैं उसे इलेक्ट्रॉन क्षय कहते है, तथा यदि धनात्मक बीटा किरण का उत्सर्जन होता है तो उसे पोजिट्रोंन क्षय कहते है। अब सवाल यह उठता है कि बीटा किरण उत्सर्जन से परमाणु संख्या में 1 यूनिट की बढ़ोतरी क्यूं होती है, आखिर इसका वजह क्या है ? तो समझिए होता क्या है ----
बीटा किरण के उत्सर्जन से परमाणु संख्या में 1 यूनिट की बढ़ोतरी की वजह -
जब बीटा किरण का उत्सर्जन होता है तो उसका प्रभाव नाभिक पर पड़ता है अर्थात शुद्ध प्रभाव यह होता है कि एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन में बदल जाता है, और समस्त द्रव्यमान संख्या समान रहती है। मैंने तो आपको बता दिया की एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन में बदल जाता है जिसके फलस्वरूप परमाणु संख्या में 1 यूनिट की बढ़ोतरी हो जाती है, पर यहां यह सवाल उठता है कि आखिर β किरण उत्सर्जन में नाभिक पर ऐसा कौन सा प्रभाव डालता है कि एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन में तब्दील हो जाता है, आखिर ऐसा क्या होता है जिस से यह परिणाम होता है, तो दिमाग पर जोर देने की जरूरत नहीं, मै आपके सारे सवालों के जवाब लेकर आया हूं, तो समझिए होता क्या है - जब β- किरण का उत्सर्जन होता है तो एक इलेक्ट्रॉन तथा एक इलेक्ट्रॉन Antinuetrino का निर्माण होता है तथा इस प्रक्रिया के दौरान एक न्यूट्रॉन एक प्रोटॉन में बदल जाता है। इस तब्दीली की वजह से प्रोटॉन कि संख्या 1 से बढ़ जाती है, तत्पश्चात परमाणु संख्या भी एक से बढ़ जाती है क्यूंकि प्रोटॉन की संख्या ही परमाणु संख्या दर्शाती है, जब β+ किरण का उत्सर्जन होता है तो एक प्रोटॉन एक न्यूट्रॉन में बदल जाता है तथा इस प्रक्रिया के दौरान एक positron तथा एक इलेक्ट्रॉन न्यूट्रीनों का निर्माण होता है, और यहीं तब्दीली का करना बनता है।
दोस्तो, अब यह साफ साफ पता चलता है कि एक रेडियोएक्टिव तत्व का नाभिक किसी अन्य तत्व के नाभिक में किस प्रकार से तब्दील हो जाता है। मै आपको इस विषय को और भी समझाने के लिए यूरेनियम का क्रमवार परिवर्तन का चित्रण नीचे डाल रहा हूं उसको ध्यान से देखे और समझे।

रेडियोसक्रिय विघटन के नियम की विवेचना:-
इस नियम के अनुसार, प्रति सेकंड विघटित होने वाले परमाणु कि संख्या उसमे स्थित कुल परमाणुओं के संख्या के समानूपाती होता है।
गणितीय विवेचना -
माना कि No =t=0 समय पर एक रेडियोऐक्टिव एलीमेंट्स है तथा N=t=t समय बाद बचे परमाणुओं की संख्या।
रेडियो एक्टिव विघटन के नियम से,
=dN/dt ∝N
dN/Dt =λ N --------(1)
λ एक नियतांक है जिसे क्षय नियातांक कहते है।
dN/N =-λdt
On integrating........
N = Noe-λt --------(2)
अर्ध आयु(Half life) -
जितने समय में दी गई परमाणु का सिर्फ आधा भाग ही विघटित होता है , तो इस समय को अर्ध आयु कहते है।
अर्ध आयु कि गणितीय विवेचना।
माना कि N =No/2
t =t1/2
समीकरण (2) से,
No/2=Noe-λt
1/2=e-λt
2=e-λt1/2
t1/2 =loge2 X 2.30326
λt1/2. =0.693
t1/2. =0.693/λ
औसत आयु --
यह क्षय नीयतांक का व्युत्क्रानुपाती होता है। इस Torque द्वारा सूचित किया जाता है।
औसत आयु कि गणितीय विवेचना
T =1/λ
T = 1.44 X t1/2
प्रिय मित्रों मुझे उम्मीद है, आपको यह विषय जरूर पसंद आया होगा। आप अपनी प्रतिक्रिया कमेन्ट बॉक्स में दे सकते है। बस इसी तरह मेरे ब्लॉग के साथ बने रहिए।


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